कुछ यूँ हीं
Thursday, December 18, 2008
कभी कभी यु ही
जब रात अधिक सर्द हो
और लिफाफे में दर्ज हो
कोई नाम जो अब याद आता न हो
तो खोल के पढ़ लिया जाए
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