कुछ यूँ हीं
Sunday, December 21, 2008
अधूरी कविता
Saturday, December 20, 2008
बहुत पहले
Thursday, December 18, 2008
कभी कभी यु ही
जब रात अधिक सर्द हो
और लिफाफे में दर्ज हो
कोई नाम जो अब याद आता न हो
तो खोल के पढ़ लिया जाए
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